विविधता की समझ ll UNDERSTANDING OF DIVERSITY CLASS -6 NCERT
विविधता की समझ
UNDERSTANDING OF DIVERSITY
भारत
विविधताओं का देश है। हम विभिन्न भाषाएँ बोलते हैं। विभिन्न प्रकार का खाना खाते
हैं, अलग-अलग त्योहार मनाते हैं और भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं।
लेकिन गहराई से सोचें तो वास्तव में हम एक ही तरह की चीजें करते हैं केवल हमारे
करने के तरीके अलग हैं।
खान-पान, पहनावा,धर्म,भाषा आदि की ये भिन्नताएँ, विविधता के पहलू हैं l
गरीबी,अमीरी विविधता का रुप नहीं है,यह लोगों के बीच मौजूद और
असमानता यानी गैर-बराबरी हैl
जाति व्यवस्था भी असमानता का एक उदाहरण है l
लद्दाख कश्मीर के पूर्वी हिस्से में पहाड़ियों में बसा एक रेगिस्तानी इलाका हैl यहाँ पर बहुत ही कम खेती संभव है, क्योंकि
इस क्षेत्र में बारिश बिल्कुल नहीं होती और यह इलाका हर वर्ष काफी लंबे समय तक
बर्फ़ से ढँका रहता है।
यहाँ के लोग एक खास किस्म की भेड़ पालते हैं,जिससे पश्मीना ऊन मिलता है l
यहाँ के लोग दूध से बने पदार्थ जैसे मक्खन, चीज (छेना) एवं मांस खाते हैंlहर एक परिवार के पास कुछ गाय, बकरी और याक होती है l
लद्दाख तो व्यापार के लिए एक अच्छा रास्ता माना गया, क्योंकि यहाँ कई
घाटियाँ हैं जिनसे गुजर कर मध्य एशिया के काफ़िले उस इलाके में पहुँचते थे जिसे आज तिब्बत कहते हैं l
ये काफ़िले अपने साथ मसाले, कच्चा रेशम, दरियाँ आदि लेकर चलते थे l
लद्दाख के रास्ते ही बौद्ध धर्म तिब्बत पहुँचा.
लद्दाख को छोटा तिब्बत भी कहते हैंl
करीब 400 सौ साल पहले यहाँ पर लोगों का
इस्लाम धर्म से परिचय हुआl
लद्दाख में गानों और कविताओं का बहुत ही
समृद्ध मौखिक संग्रह है
तिब्बत का ग्रंथ केसर सागा लद्दाख में
काफ़ी प्रचलित है l उसको स्थानीय लोग गाते हैं और नाटक खेलते हैं
केरल भारत के दक्षिण-पश्चिमी
कोने में बसा हुआ राज्य है l यह एक तरफ समुद्र से घिरा हुआ
है और दूसरी तरफ पहाड़ियों से l
इन पहाड़ियों पर विविध प्रकार के मसाले
जैसे काली मिर्च, लौंग, इलायची आदि उगाए जाते हैं l
सबसे पहले अरबी और यहूदी व्यापारी केरल
आएl
भारत में ईसाई धर्म लाने का श्रेय
संत थॉमस को जाता है, जो दो हजार साल पहले यहाँ आए l
इब्नबतूता, जो करीब सात सौ साल पहले
यहाँ आएँ, अपने यात्रा वृतांत में मुसलमानों के जीवन का
विवरण देते हुए लिखा की मुसलमान समुदाय की यहाँ बड़ी इज्जत थी l
इब्नबतूता द्वारा अरबी
भाषा में लिखा गया उसका यात्रा वृत्तांत जिसे रिह्ला कहा जाता है
उत्तर अफ्रीका के मोरक्को
प्रदेश के प्रसिद्ध नगर तांजियर में इनका जन्म हुआ था।
पूरा नाम था मुहम्मद बिन
अब्दुल्ला इब्न बत्तूता।
वास्को–डि-गामा पानी के रास्ते यहाँ
पहुँचे तो पुर्तगालियों ने यूरोप से भारत तक का रास्ता जाना l
वास्कोडिगामा समुद्र के
रास्ते भारत पहुँचने वाला प्रथम व्यक्ति था।
वास्कोडिगामा भारत 20 मई 1498 को पहुँचा था तथा सबसे पहले
वह भारत के दक्षिण में स्थित केरल के कालीकट तट पर पहुँचा था।
वास्कोडिगामा इस सफर के लिए
लिस्बन से 9 जुलाई 1497 को चला तथा 9 महीने पश्चात वह कालीकट तट
को खोजने में कामयाब हुआ।
वास्कोडिगामा ने कालीकट के
राजा जमूरिन से अरबी तथा फ़ारसी लोगों को राज्य से निकाल कर मात्र पुर्तगाल से
व्यापार करने को कहा परन्तु राजा ने जब वास्कोडिगामा की यह बात ठुकरा दी तो उसने कैलीकट
पर तोपों से हमला कर दिया व कोचीन में अपनी फैक्टरी स्थापित कर ली।
- वास्कोडिगामा 1498 में ही पुर्तगाल लौट गया था तथा लगभग 4 वर्ष पश्चात 1502 में पून: भारत आया। इस बार उसके साथ 20 जहाजों का बेड़ा था तथा कैलीकट पर हमला भी उसने अपने द्वितीय आगमन के समय ही किया था।
केरल में मनाये जाने वाले त्यौहार ओणम का
मुख्य आकर्षण नाव प्रतियोगिता होती है
राजा महाबली के सम्मान में
ओणम को हर साल अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है.
केरल में यहूदी, इस्लाम, ईसाई, हिन्दू एवं बौद्ध धर्म शामिल हैं l
चीन के व्यापारी भी केरल आते थे
केरल के लोग मछली पकड़ने के लिए जो जाल
इस्तेमाल करते है, उन्हें “चीना-वला” कहते है तथा तलने के लिए लोग जो बर्तन इस्तेमाल करते
हैं उसे “चीनाचट्टी” कहते हैं l
केरल की उपजाऊ जमीन और जलवायु चावल की
खेती के लिए उपयुक्त है और वहाँ के अधिकतर लोग मछली, सब्जी और चावल खाते हैंl
किसी भी क्षेत्र के सांस्कृतिक जीवन का
उसके इतिहास और भूगोल से गहरा रिश्ता होता है l
भारत की विविधता या अनेकता को उसकी ताकत
का स्रोत माना गया है l
जवाहर लाल नेहरु ने अपनी किताब “भारत की खोज” में विविधता का वर्णन करते हुए “अनेकता में एकता” का विचार हमें दिए l
दिन खून के हमारे, प्यारे
न भूल जाना, खुशियों में अपनी हम पर, आँसू बहा के जाना यह गीत अमृतसार
में हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद गाया जाता था।
रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित हमारा राष्ट्र
गान भी भारतीय एकता की ही एक अभिव्यक्ति है l
उनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियों में -
गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं। उन्होंने कुछ
पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया।
रविन्द्र नाथ टैगोर एशिया के प्रथम ऐसे
व्यक्ति हैं। जिन्हें उनकी काव्य
रचना गीतांजलि के लिये सन् 1913 में
साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया
गया ।
रविन्द्र नाथ टैगोर एक मात्र कवि हैं
जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्र
गान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का
राष्ट्रीय
गान आमार सोनार बाँग्ला ।
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