मानचित्र CLASS 6 NCERT नोट्स


             मानचित्र   
           
मानचित्र पृथ्वी की सतह या इसके एक भाग का पैमाने के माध्यम से चपटी सतह पर खींचा गया चित्र है
मानचित्र दो शब्दों मान और चित्र से मिल कर बना है जिसका अर्थ किसी माप या मूल्य को चित्र द्वारा प्रदर्शित करना है। जिस प्रकार एक सूक्ष्मदर्शी किसी छोटी वस्तु को बड़ा करके दिखाता है, उसके विपरीत मानचित्र किसी बड़े भूभाग को छोटे रूप में प्रस्तुत करते हैं जिससे एक नजर में भौगोलिक जानकारी और उनके अन्तर्सम्बन्धों की जानकारी मिल सके। मानचित्र को नक्शा भी कहा जाता है

आजकल मानचित्र केवल धरती, या धरती की सतह, या किसी वास्तविक वस्तु तक ही सीमित नहीं हैं। उदाहरण के लिये चन्द्रमा या मंगल ग्रह की सतह का मानचित्र बनाया जा सकता है; किसी विचार या अवधारणा का मानचित्र बनाया जा सकता है; मस्तिष्क का मानचित्रण (जैसे एम आर आई की सहायता से) किया जा रहा है।

 
मानचित्रों से एक ग्लोब की अपेक्षा हमें ज्यादा जानकारी प्राप्त होती है।

मानचित्र विभिन्न प्रकार के होते हैं|

भौतिक मानचित्र  पृथ्वी की प्राकृतिक आकृतियों ;  जैसे  पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदियों, महासागरों इत्यादि को दर्शाने वाले मानचित्रों को भौतिक या उच्चावच मानचित्र कहा जाता है|

राजनीतिक मानचित्र   राज्यों,  नगरों, शहरों  तथा ग्रामों और विश्व के विभिन्न देशों    राज्यों  तथा उनकी सीमाओं को दर्शाने वाले मानचित्र को राजनीतिक मानचित्र कहा जाता है |
थिमैटिक मानचित्रकुछ मानचित्र विशेष जानकारियां प्रदान करते हैं;  जैसे  सड़क मानचित्र,  वर्षा मानचित्र,  वन तथा उद्योगों आदि के वितरण दर्शाने वाले मानचित्र इत्यादि |  इस प्रकार के मानचित्र को थिमैटिक मानचित्र कहा जाता है |

मानचित्र की उपयोगिता


मानचित्र पूरे विश्व से लेकर छोटे-से-छोटे स्थान की भौगोलिक जानकारी के लिये एक सन्दर्भ का काम करता है।
मानचित्र किसी अज्ञात स्थान के लिये मार्गदर्शक और दिग्दर्शक का काम करता है।
थल, जल या वायु मार्ग से यात्रा करने में यात्रा के मार्ग की योजना बनाने और उस मार्ग पर बने रहने में सहायक
नगर या ग्राम की भावी विकास की योजना बनाने के लिये
सेना अपनी कार्यवाही (आपरेशन), सैनिकों की तैनाती, शत्रु की स्थिति का आकलन एवं शास्त्रो की तैनाती के लिये भी मानचित्र का अत्यधिक उपयोग करती है।
भूमि के स्वामित्व, न्यायाधिकरण एवं कर निर्धारण के लिये सरकार मानचित्र पर निर्भर करती है।
पुलिस, अपराधों का मानचित्रण करके पता करती सकती है कि अपराधों में कोई पैटर्न है।
इसी प्रकार डॉ जॉन स्नो ने लन्दन में हैजा फैलने पर मानचित्र की सहायता से ही यह अनुमान लगा लिया था कि इसके लिये एक सार्वजनिक जल पम्प जिम्मेदार थी।

भारत का नक्शा बनाने का इतिहास काफी पुराना है, भारत के प्राचीन सभ्यताओं में भी मानव के नक्शा बनाने का प्रयास आज भी मौजूद है ! मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ मानचित्र बनाने का भी इतिहास की शुरुआत हुई थी !
मानव जाति का प्रथम नक्शा बनाने का प्रयास महाभारत के काल से ही दिखता है ! प्राचीन समय मनुष्य घर के दीवार एवं जमीन पर मानचित्र बनाना शुरु किया था, उसके बाद का उनका प्रयास लकड़ी एवं पत्थरों तक जा पहुंचा ! जिसके साक्ष्य आज के समय भी मौजूद हैं ! भूगोल का पिता कहे जाने वाले इरेटोस्थनीज (Eratosthenes) ने 276 ईसा पूर्व में दुनिया का मानचित्र बनाया था, उसने अपने नक्शे में भारत को दर्शाया था !
हेकाटेस / हेकाटेयस (Hecataeus)  ने दुनिया का नक्शा बनाया था उस नक़्शे में इंडिया शब्द का प्रयोग हुआ था !
प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक टॉलमी ने अपनी भूगोल के पुस्तक में भारत का बेहतर मानचित्र तैयार किया था !

भारत का नक्शा किसने बनाया था

भारत का नक्शा सबसे पहले किसने बनाया इसका कोई अधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है ! कुछ अनाधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक एनविले ने 1752 भारत का पहला नक्शा बनाया था!

ब्रिटिश सरकार ने 1757 में जेम्स रेंनेल बंगाल का नक्शा बनाने का अधिकारिक भार दिया था ! पहला आधुनिक नक्शा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा 1767 में स्थापित भारत की सर्वे द्वारा निर्मित किया गया था।
विलियम लैंबटन और जॉर्ज एवरेस्ट ने भारत का पहला सटीक मानचित्र ब्रिटिश काल में बनाया गया था ! 1 मई 1870 को जॉर्ज एवरेस्ट भारत का नक्शा प्रकाशित किया था ! एवरेस्ट के नाम पर ही माउंट एवरेस्ट का नाम पड़ा है !
आज के समय जो आधिकारिक भारत का नक्शा मान्य है, वह मानचित्र भारत पाकिस्तान विभाजन के समय बना था ! कई विवादों के बावजूद, उस नक्शा तैयार करने का श्रेय चौधरी रहमत अली दिया गया है !









 
मानचित्र के तीन घटक है दूरी,दिशा और प्रतीक।

पैमाना, स्थल पर वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर दिखाई गई दूरी के बीच का अनुपात होता है। उदाहरण के लिए10 किमी को 2 सेमी की दूरी से व्यक्त किया जा सकत है।

जब बड़े क्षेत्रफल वाले भागों जैसे महाद्वीपों या देशों को कागज पर दिखाना होता है, तब हम लोग छोटे पैमाने का उपयोग करते हैं । उदाहरण के लिए मानचित्र पर 5  सेमी स्थल को  500 मि. को दर्शाता है। इसको छोटे पैमाने वाला मानचित्र कहते हैं।


 
बड़े पैमाने वाले मानचित्र छोटे पैमाने  वाले मानचित्र की अपेक्षा अधिक जानकारी प्रदान करते है।

जिसके माध्यम से दिशाओं को दिखाया जाता है उसे प्रधान दिग्विंदु  कहते हैं।
हम दिक्सूचक की सहायता से किसी स्थान की दिशा का पता लगा सकते हैं। यह एक यंत्र है जिसकी सहायता से मुख्य दिशाओं का पता लगाया जाता है। इसकी चुंबकीय सुई की दिशा हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में होती है।


मानचित्र पर वास्तविक आकार एवं प्रकार में विभिन्न आकृतियों जैसे - भवनों, सड़कों, पुलों वृक्षों , रेल की पटरियों या कुएँ को दिखाना संभव नहीं होता है। इसलिए वे निश्चित अक्षरों  छायाओं रंगों चित्रों तथा रेखाओं का उपयोग करके दर्शाए जाते हैं। जिन्हें प्रतीक कहा जाता हैं।


नीले रंग का इस्तेमाल जलाशयों, भूरा रंग पर्वतों पीला रंग पठारों और हरा रंग मैदानों को दर्शाने के लिए किया जाता है।

 
हम किसी रास्ते की जानकारी के लिए कच्चा  आरेखण बनाते है इस प्रकार कच्चे आरेख को  बिना पैमाने की सहायता से खींचा जाता है तथा इसे रेखाचित्र मानचित्र कहते हैं।

रेखाचित्र एक आरेखण है,  जो पैमाने पर आधारित होकर याददाश्त और स्थानीय प्रेक्षण पर आधारित होता है

एक छोटे क्षेत्र का बड़े पैमाने पर खींचा गया रेखाचित्र खाका कहा जाता है |

















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