कोहलर का सूझ अथवा अंतर्दृष्टि का सिद्धांत


 कोहलर का सूझ अथवा अंतर्दृष्टि का सिद्धांत




प्रतिपादक : वर्दिमर , कोफ्का , कोहलर

प्रयोगकर्ता: कोहलर

प्रयोग किया :- वनमानुष/सुल्तान

सहयोग कर्ता :- कोफ्का

प्रतिपादन – 1912

 इसे संज्ञानात्मक क्षेत्र सिद्धांत भी कहा जाता है क्योंकि इन सिद्धांतों में संज्ञान अथवा प्रत्यक्षीकरण को विशेष  महत्व प्रदान दिया  जाता है।

 इन्हें गेस्टाल्ट सिद्धांत भी कहा जाता है।

गेस्टाल्ट मनोविज्ञान के अनुसार जब हम वातावरण में किसी वस्तु का प्रत्यक्ष करते हैं तो हम उसकी आकृति, प्रतिमान और विन्यास के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं अर्थात उसके नवीन प्रतिमानों को देखकर उनको संगठित करते हैं जिससे हमें एक सार्थक समग्रता का ज्ञान होता है। 


गेस्टाल्ट शब्द जर्मन भाषा का है जिसका अर्थ 'समग्रता' अथवा 'संपूर्ण' है। इस सिद्धांत के प्रतिपादक वर्दिमर , कोफ्का  और कोहलर को मन जाता  है।

अंतर्दृष्टि सिद्धांत की व्याख्या कोहलर ने अपनी पुस्तक 'गेस्टाल्ट साइकोलोजी' 1959 में की है।

गेस्टाल्ट सिद्धांत के अनुसार सीखना प्रयास व त्रुटि न  होकर सूझ के द्वारा होता  होता है।

सूझ का अभिप्राय अचानक उत्पन्न होने वाले एक ऐसे विचार से है जो किसी का समाधान कर दे
सूझ द्वारा सीखने के अन्तर्गत प्राणी परिस्थितियों का भली प्रकार से अवलोकन करता हैं। तत् पश्चात अपनी प्रतिक्रिया देता हैं।


सूझ  द्वारा सीखने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है और इस प्रकार के के अधिगम में मस्तिष्क का सर्वाधिक प्रयोग होता हैं।

कोहलर का प्रयोग

कोहलर ने एक पिंजरे में सुल्तान नामक चिंपाजी को बंद कर दिया। पिंजरे में दो छड़े इस प्रकार रखी गई कि उन्हें एक दूसरे में फंसाकर लंबा बनाया जा सकता था और पिंजरे के बाहर केले इधर-उधर रखे गए थे। चिंपाजी केलों तक पहुंच नहीं सकता था। केलों को देखकर चिंपाजी उन्हें लेने का प्रयास करने लगा किंतु बिना छडों की सहायता से उन्हें प्राप्त करना कठिन था। यकायक चिंपाजी की दृष्टि छडों पर गई और उसने केलों और छडों के मध्य संबंध स्थापित कर लिया। उसने छडों को उठाया अचानक दोनों छडों को उसने एक दूसरे में फंसाया और उन्हें लंबा कर लिया तथा उन छड़ियों की सहायता से केलों को अपनी ओर खींच कर प्राप्त कर लिया।

इस प्रकार कोहलर ने चिंपाजी पर अनेक प्रयोग किए और निष्कर्ष निकाला कि जीव संपूर्ण वातावरण का प्रत्यक्षीकरण करता है और इसके आधार पर उनमें  सूझ उत्पन्न होती है, इससे वह अपनी समस्या का समाधान करना सीख लेता है अर्थात जब व्यक्ति के सामने जब कोई समस्या आती है तो उस समस्या का समाधान करने के लिए व्यक्ति के मस्तिष्क में एक नया  विचार आता है जिसके आधार पर व्यक्ति अपनी समस्या का समाधान कर लेता है यह नया विचार ही सूझ अथवा अंतर्दृष्टि कहलाता है



शिक्षा में महत्व :

पाठ्यक्रम का निर्माण करने में सहायक

पूर्ण से अंश की और शिक्षण सूत्र इसी सिद्धांत की देन

यह सिद्धांत बालक के रटने की प्रवृति का विरोध करता है

समस्या का पूर्ण रूप से प्रस्तुतिकरण 


विषय वस्तु का उचित संगठन व क्षमता के अनुसार 

कठिन विषय के लिए उपयोगी

क्रो एण्ड क्रो - कला संगीत साहित्य के लिए उपयोगी माना है 

ड्रेवर- लक्ष्य प्राप्ति में सहायक माना है

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