कोहलर का सूझ अथवा अंतर्दृष्टि का सिद्धांत
कोहलर का सूझ अथवा अंतर्दृष्टि का सिद्धांत प्रतिपादक : वर्दिमर , कोफ्का , कोहलर प्रयोगकर्ता: कोहलर प्रयोग किया :- वनमानुष/सुल्तान सहयोग कर्ता :- कोफ्का प्रतिपादन – 1912 इसे संज्ञानात्मक क्षेत्र सिद्धांत भी कहा जाता है क्योंकि इन सिद्धांतों में संज्ञान अथवा प्रत्यक्षीकरण को विशेष महत्व प्रदान दिया जाता है। इन्हें गेस्टाल्ट सिद्धांत भी कहा जाता है। गेस्टाल्ट मनोविज्ञान के अनुसार जब हम वातावरण में किसी वस्तु का प्रत्यक्ष करते हैं तो हम उसकी आकृति , प्रतिमान और विन्यास के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं अर्थात उसके नवीन प्रतिमानों को देखकर उनको संगठित करते हैं जिससे हमें एक सार्थक समग्रता का ज्ञान होता है। गेस्टाल्ट शब्द जर्मन भाषा का है जिसका अर्थ ' समग्रता ' अथवा ' संपूर्ण ' है। इस सिद्धांत के प्रतिपादक वर्दिमर , कोफ्का और कोहलर को मन जाता है। अंतर्दृष्टि सिद्धांत की व्याख्या कोहलर ने अपनी पुस्तक ' गेस्टाल्ट साइकोलोजी ' 1959 में की है...
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