भारत : जलवायु, वनस्पति तथा वन्य प्राणी
भारत में उष्ण से
अतिशीतल जलवायु स्थिति के व्यापक क्षेत्र के साथ एक प्रचुर और विभिन्न प्रकार की
वनस्पति है, जिसकी तुलना केवल कुछ देशों के साथ की जा सकती है। भारत को
आठ अलग-अलग वनस्पति क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है, जैसे पश्चिमी हिमाचल, पूर्वी हिमाचल, असम, सिंधु नदी का
मैदानी क्षेत्र, डेक्कन, गंगा का मैदानी क्षेत्र, मालाबार और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
|
हमारा देश भारत विश्व के मुख्य 12 जैव
विविधता वाले देशों में से एक है | लगभग 47,000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान
पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है |
जलवायु किसी बड़े इलाके का औसत मौसम है जो कि एक
लम्बे समय से बना रहता है. उदाहरण के लिए भारत की जलवायु यूरोप की तुलना में भिन्न
है. यूरोप में अक्सर बर्फबारी होती है और भयानक सर्दी पड़ती है. भारत में ऐसी
बर्फबारी और सर्दी नहीं पड़ती. सरल शब्दों में किसी इलाके का किसी एक तरह का औसत
मौसम अगर लम्बे समय से बना रहता है तो उसे उस इलाके की जलवायु कहा जाता है. मौसम
जहां कुछ दिनों या घंटों में बदल सकता है वहीं जलवायु बदलने में सैकड़ों हजारों साल
का समय लगता है |
वनस्पति-
ज़मीन से उगनेवाले पेड़, पौधे, लताएँ आदि
प्राकृतिक वनस्पति का
मतलब है वह वनस्पति जो मनुष्य द्वारा विकसित नहीं की गयी है । यह मनुष्यों से मदद
की जरूरत नहीं है और जो कुछ भी पोषक तत्व इन्हें चाहिए, प्राकृतिक वातावरण से ले लेते है /पौधे जो बिना मनुष्य की सहायता के उपजते
हैं प्राकृतिक वनस्पति कहलाते हैं
मौसम वायुमंडल में दिन-प्रतिदिन होने
वाले परिवर्तन है| इसमें तापमान, वर्षा तथा सूर्य का विकिरण इत्यादि शामिल
है|
शीत ऋतु
ठंडे मौसम में सूर्य की सीधी किरणें नहीं
पड़ती है जिसके परिणाम स्वरूप उत्तर भारत का तापमान कम हो जाता है|
ग्रीष्म ऋतु
गर्मी के मौसम में सूर्य की किरणें
अधिकतर सीधी पड़ती है| तापमान बहुत अधिक हो जाता है| दिन के समय गर्म एवं शुष्क पवन बहती है
जिसे लू कहा जाता है |
दक्षिण पश्चिम मानसून या वर्षा का मौसम
यह मानसून के आने तथा आगे बढ़ने का मौसम
है| इस समय पवन बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर
से स्थल की ओर बहती है| वे अपने साथ नमी भी लाती है| जब यह पवन पहाड़ों से टकराती है तब वर्षा
होती है|
मानसून के लौटने का मौसम या शरद ऋतु
इस समय पवन स्थल भागों से लौटकर बंगाल की
खाड़ी की ओर बहती है| यह मानसून के लौटने का मौसम होता है | भारत के दक्षिणी भाग विशेषकर तमिलनाडु
व आंध्र प्रदेश में इस मौसम में वर्षा होती है|
भारत की जलवायु को मोटे तौर पर मानसूनी जलवायु कहा जाता है| भारत की स्थिति उष्ण कटिबंधीय होने के
कारण अधिकतर वर्षा मानसून पवन से होती है |
किसी स्थान की जलवायु उसकी स्थिति, ऊंचाई, समुद्र से दूरी तथा उच्चावच पर निर्भर करती है| इसलिए हमें भारत की जलवायु में क्षेत्रीय
विभिन्नता का अनुभव होता है|
राजस्थान
के मरुस्थल में स्थित जैसलमेर तथा बीकानेर बहुत गर्म स्थान है, जबकि जम्मू तथा कश्मीर के द्रास
एवं कारगिल में बर्फीली ठंड पड़ती है|तटीय क्षेत्र मुंबई तथा कोलकाता की जलवायु मध्यम है
जलवायु की विभिन्नता के कारण भारत में
अलग अलग तरह की वनस्पतियां पाई जाती हैं|
भारत
की वनस्पतियों को पांच प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है-
उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन,
उष्णकटिबंधीय पतझड़ वन,
कटीली झाड़ियां,
पर्वतीय वनस्पति
तथा मैंग्रोव वन|
उष्णकटिबंधीय वर्षा वन
उष्णकटिबंधीय वर्षा वन उन क्षेत्रों में
पाए जाते हैं जहां वर्षा बहुत अधिक होती है| यह इतने घने होते हैं कि सूर्य का प्रकाश जमीन तक नहीं पहुंच पाता
है| वृक्षों की अनेक प्रजातियां इन वनों में
पाई जाती हैं| यह वर्ष के अलग-अलग समय में अपनी
पत्तियां गिराते हैं फलतः वे हमेशा हरे भरे दिखाई देते हैं और उन्हें सदाबहार वन कहा जाता है | अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, उत्तर पूर्वी राज्यों के कुछ भागों
तथा पश्चिमी घाट की संकरी पट्टी में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष महोगनी, एबोनी तथा रोजवुड है|
उष्णकटिबंधीय पतझड़ वन
हमारे देश के बहुत बड़े भाग में इस
प्रकार के वन पाए जाते हैं| इन वनों को मानसूनी वन भी कहा जाता है| यह कम घने होते हैं और वर्ष के एक
निश्चित समय में अपनी पत्तियां गिराते हैं | इन वनों में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण
पेड़ साल, सागौन, पीपल, नीम एवं शीशम है| यह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तथा महाराष्ट्र के कुछ भागों में पाए जाते हैं|
कटीली झाड़ियां
इस प्रकार की वनस्पतियां देश के शुष्क भागों में पाई जाती हैं| पानी की क्षति को कम करने के लिए
इनकी पत्तियों में बड़े-बड़े कांटे होते हैं | इनके महत्वपूर्ण वृक्ष है – कैक्टस, खैर, बबूल, कीकर इत्यादि| यह राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों तथा
गुजरात में पाई जाती हैं|
पर्वतीय वनस्पति
पर्वतों में ऊंचाई के अनुसार वनस्पतियों
के विभिन्न प्रकार पाए जाते हैं|
ऊंचाई
बढ़ने के साथ तापमान में कमी आती जाती है| समुद्र तल से 1500 मीटर से 2500 मीटर की ऊंचाई के बीच पेड़ों का आकार
शंक्वाकार होता है| यह पौधे शंकुधारी वृक्ष कहे जाते हैं| इन वनों के महत्वपूर्ण वृक्ष चीड़, पाइन तथा देवदार हैं|
मैंग्रोव वन
यह वन खारे पानी में भी रह सकते हैं| यह मुख्यतः पश्चिम बंगाल के सुंदरवन तथा
अंडमान एवं निकोबार के द्वीप समूहों में पाए जाते हैं| सुंदरी इस प्रकार के वनों की महत्वपूर्ण
प्रजाति है, इसी प्रजाति के नाम पर क्षेत्र का नाम सुंदरबन पड़ा| भारत में विश्व
के कुछ प्रसिद्ध मैंग्रोव क्षेत्र पाये जाते हैं। सुन्दरवन विश्व का सबसे बड़ा
मैंग्रोव क्षेत्र है। इसका कुछ भाग भारत में तथा कुछ बांग्लादेश में है। सुन्दरवन
का भारत में आने वाला क्षेत्र गंगा तथा ब्रह्मपुत्रा नदियों के डेल्टा क्षेत्रों
के पश्चिमी भाग में है उड़ीसा तट पर स्थित महानदी मैंग्रोव क्षेत्र का
निर्माण महानदी, ब्रहमणी तथा वैतरिणी नदियों द्वारा होता है।
वन्य प्राणी
वन विभिन्न प्रकार के वन्य जीवों का
निवास होता है| वनों में जंतुओं की हजारों प्रजातियां
तथा बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के सरीसृपों, उभयचरों, पक्षियों, स्तनधारियों, कीटो का निवास होता है|
बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है| गुजरात के गिर वन में एशियाई शेरों का
निवास है|
हाथी
तथा एक सींग वाले गैंडे असम के जंगलों में घूमते हैं| ऊंट भारत के रेगिस्तान तथा जंगली गधा कच्छ के रण में पाए जाते हैं| जंगली बकरी, हिम तेंदुआ, भालू इत्यादि हिमालय के क्षेत्र में पाए जाते हैं|
भारत में पक्षियों की भी ऐसी ही प्रचुरता
है| मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है|
यू.एस.ए. में National Wild Life Week नेशनल
वाइल्डलाइफ फेडरेशन (एन.डब्ल्यू.एफ.) द्वारा 1938 से मनाया जा रहा है
भारत सरकार ने किसी
भी भारतीय वन्यजीव प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के उद्देश्य से वर्ष 1952 में तत्कात प्रभाव से भारतीय वन्यजीव
बोर्ड (IBWL) की स्थापना की.
बोर्ड द्वारा वन्य जीव संरक्षण हेतु जनता को जागरुक करने के लिए निरंतर अग्रणी
कार्य किये जा है.
प्रवासी पक्षी
·
कुछ पक्षी जैसे पेलिकन, साइबेरियन क्रेन, स्टोर्क, फ्लेमिंगो, पिनटेल बतख, कर्लीयू इत्यादि प्रत्येक वर्ष सर्दी के मौसम में
हमारे देश में आते हैं| साइबेरियन क्रेन साइबेरिया से दिसंबर के
महीने में आते हैं तथा मार्च के आरंभ तक रहते हैं| 12 मई, 2018 को संपूर्ण विश्व में ‘विश्व प्रवासी
पक्षी दिवस’ (World Migratory Bird Day) मनाया गया।
प्रवास का अर्थ है
यात्रा पर जाना या दूसरे स्थान पर जाना किन्तु उनका यह प्रवास केवल अपने देश में
सीमित नहीं होता, वरन् सुदूर विदेशों तक होता है। पक्षियों
पर हुए अध्ययन से यह पाया गया है कि भारत के पक्षी लगभग 10,000 किलोमीटर का सफर तय करके रूस के निकट साइबेरिया
पहुंचते हैं, और इसी प्रकार उस देश के पक्षी भारत में आते
हैं, जो पक्षी भारत में आकर सर्दियां गुजारते हैं
वे उतरी एशिया, रूस, कजाकिस्तान तथा
पूर्वी साइबेरिया से यहां आते हैं।
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