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खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर NCERT CLASS-6

             खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर उपमहाद्वीप में लोहे का प्रयोग लगभग 3000 साल पहले शुरू हुआ। करीब 2500 वर्ष पहले लोहे के औजारों का उपयोग बढ़ने लगा था ऐसे प्रमाण प्राप्त होते हैं। तमिल क्षेत्र में बड़े भूस्वामियों को वेल्लला, साधारण हलवाहों को उणवार और भूमि हीन म जदूरों को ' दास कडैसियार ' या ' अदिमई ' कहा जाता था | देश के उत्तरी हिस्से में गांव का प्रधान व्यक्ति ग्राम भोजक कहलाता था। भोजक का पद आनुवांशिक था , ग्राम भोजक के पद पर आमतौर पर गाँव का सबसे बड़ा भू स्वामी होता था प्रभावशाली होने के कारण प्रायः राजा भी कर वसूलने का काम इन्हें ही सौंप देते थे। ये न्यायाधीश का और कभी कभी पुलिस का काम भी करते थे। ग्राम भोजकों के अलावा अन्य स्वतंत्र कृषक भी होते थे जिन्हें गृहपति कहते थे। इनमें ज्यादातर छोटे किसान ही होते थे। जिनके पास जमीन नहीं होती थे , उन्हें दूसरों की जमीन पर काम करके अपनी जीविका चलानी पड़ती थी। तमिल की प्राचीनतम रचनाओं को संगम साहित्य कहते हैं। इनकी रचना करीब 3000 साल पहल...
जेरोम ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त ( Jerome Bruner’s Cognitive Development Theory)    निवासी – अमेरिका   ब्रूनर पर जीन पियाजे का प्रभाव था ब्रूनर ने   संज्ञानात्मक विकास   का   मॉडल   प्रस्तुत किया। उनके अनुसार , यह  वह मॉडल है जिसके द्वारा मनुष्य अपने वातावरण से सामंजस्य स्थापित  करता है। ब्रूनर ने अपना संज्ञान सम्बन्धी अध्ययन सर्वप्रथम प्रौढ़ों पर  किया , तत्पश्चात् विद्यालय जाने वाले बालकों पर , फिर तीन साल के  बालकों पर और फिर नवजात शिशु पर किया। ब्रूनर ने मुख्य रूप से दो बातों पर ध्यान दिया। पहला , यह कि शिशु अपनी  अनुभूतियों को मानसिक रूप से किस प्रकार व्यक्त करता है और दूसरा  यह कि शैशवावस्था और बाल्यावस्था में बालक चिन्तन कैसे करता है। ब्रूनर के अनुसार शिशु अपनी मानसिक अनुभूतियों को तीन तरीकों से  अभिव्यक्त करते हैं- 1 सक्रिय अवस्था   या विधि निर्माण अवस्था-इस अवस्था में बालक  अशब्दिक क्रियाओ के माध्यम से ज्ञान प्राप...